सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महज 40% की बेंचमार्क दिव्यांगता होना, किसी कैंडिडेट को कॉलेज में एडमिशन से नहीं रोक सकती, जब तक कि मेडिकल बोर्ड यह तय न कर दे कि उसकी दिव्यांगता आगे पढ़ने में परेशानी बनेगी। बेंच ने कहा- बोर्ड को यह भी बताना होगा कि अगर कोई व्यक्ति आगे बढ़ने के लायक नहीं है तो क्यों? जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने 14 अक्टूबर को महाराष्ट्र के मेडिकल स्टूडेंट ओंकार रामचंद्र गोंड की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये बातें कहीं। रामचंद्र ने NEET- UG 24 पास किया है। गोंड को MBBS करने के लिए अयोग्य बताया गया था, क्योंकि वे 1997 के ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन रेगुलेशन के तहत 45% स्पीच और स्थायी भाषाई दिव्यांग हैं। हालांकि कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड से राय मांगने के बाद 18 सितंबर को गोंड को एडमिशन दिया था।
208/A, Ksishna marg, Kundan Nagar ,Ajmer
9414009911
news365rajasthan@gmail.com
© News 365 Raj. All Rights Reserved. Design by Choyal IT