कहते हैं ना कि हुनर सबके अंदर होता है, बस उसे निखारने का जज्बा और जूनून होना चाहिए। परिस्थितियां कैसी भी हों, कुछ कर गुजरने की चाह रखने वाला इन्सान सफलता का रास्ता तलाश ही लेता है। कुछ ऐसे ही बुलंद हौसलों के इन्सान हैं प्रवीण के। एक किसान के बेटे, जो कभी गांव में छह रुपये प्रति दिन की मजदूरी किया करते थे, आज 100 करोड़ से अधिक की 'स्वदेशी कंपनी' के मालिक हैं। इस कंपनी की शुरुआत प्रवीण ने महज 1,800 रुपये से की थी, लेकिन अपनी मेहनत के पसीने से सींचकर इसे सौर उत्पादों की एक सफल और प्रसिद्ध कंपनी बना दिया। इनकी कंपनी नवीकरणीय और घरेलू उपयोग के लिए स्वदेशी सोलर और तकनीकी उत्पाद बेचने वाली शीर्ष कंपनियों में से एक है। साथ ही, बहुत से लोगों को रोजगार भी दे रही है। प्रवीण की सफलता इस बात का उदाहरण है कि सही दिशा में मेहनत की जाए, तो इन्सान कुछ भी हासिल कर सकता है।
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