राजपूत सेवा सदन में रविवार को आयोजित जयमल राठौड़ की 517 वीं जयंती समारोह में मंच से राजनीतिक भाषण दिए जाने को लेकर विवाद हो गया। कार्यक्रम में मंच पर मौजूद संत समताराम एवं भाजपा नेता भंवर सिंह पलाड़ा के बीच जमकर तकरार हुई। गुस्साए संत समताराम मंच से उठकर चले गए।दरअसल हुआ यों कि समारोह में शिव विधायक वीरेन्द्र सिंह, पर्यटन निगम के पूर्व अध्यक्ष धर्मेन्द्र सिंह राठौड, भाजपा नेता भंवर सिंह पलाड़ा ने विकास कार्यों पर राजनीतिक संबोधन दिया था। इस पर संत समताराम ने सामाजिक मंच पर राजनीतिक भाषण देने वालों का सामाजिक बहिष्कार करने की बात कह डाली। यहांं तक कह दिया कि यह मंच किसी की बपौती नहीं है। इस पर केवल समाज विकास की ही बात होनी चाहिए। मंच पर जिला प्रमुख सुशील कंवर पलाड़ा के साथ बैठे भंवर सिंह पलाड़ा को गुस्सा आ गया। उन्होंने संत समताराम को दो टूक शब्दों में कहा कि यहां पर तुम पंचायती करोगे क्या। नेतागिरी करना बंद कर और भाषण बंद कर। संत समताराम ने कहा कि देखो यह क्या हो रहा है। इतने में काफी जने मंच पर आ गए। माहौल तनावपूर्ण हो गया। संत समताराम को भाषण दिए बिना ही मंच छोडकर जाना पड़ा। धर्मेन्द्र सिंह राठाैड, पूर्व अध्यक्ष पर्यटन निगम का कहना है…राजपूत समाज ने समताराम को उच्च सिंहासन पर बिठाया था। उनको अगर कोई बात बुरी लगी तो सार्वजनिक रूप से गुस्सा नहीं करना चाहिए था। इससे पहले भी नांद गौशाला के कार्यक्रम में समताराम ने मंच से भाजपा नेता राजेन्द्र सिंह राठौड को काफी भला बुरा कह डाला था। संत को गुस्सा नही करना चाहिए। भंवर सिंह पलाड़ा का कहना है…समाज की जाजम है। कोई आता है, कोई जाता है कोई फर्क नहीं पडता। संत समताराम के साथ कोई गया था क्या। लेकिन अब भविष्य में संत समताराम के साथ मैंं किसी कार्यक्रम में शामिल नही होऊंगा। संत समताराम का कहना है…मैंने संस्था को बोला था कि वर्ष में एक बार किए जाने वाले आयोजन में दूर-दूर से समाज के लोग एकत्र होते है। सामाजिक मंच से केवल समाज विकास की बात ही होनी चाहिए थी। राजनीतिक विषय के लिए अलग से बैठक होनी चाहिए। यह राजनीतिक मंच नहीं है।
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